हर मुलाक़ात पर वक़्त का तक़ाज़ा हुआ।
हर याद पर दिल का दर्द ताज़ा हुआ।
सुनी थी सिर्फ ग़ज़लों में जुदाई कि बातें।
अब खुद पर बीती तो हकीकत का अंदाजा हुआ
हर मुलाक़ात पर वक़्त का तक़ाज़ा हुआ।
हर याद पर दिल का दर्द ताज़ा हुआ।
सुनी थी सिर्फ ग़ज़लों में जुदाई कि बातें।
अब खुद पर बीती तो हकीकत का अंदाजा हुआ
कोई आँखों में बात कर लेता है,
कोई आँखों आँखों में मुलाकात कर लेता है.
मुश्किल होता है जवाब देना…
जब कोई खामोश रह कर भी सवाल कर लेता है!
सदियों बाद उस अजनबी से मुलाक़ात हुई,
आँखों ही आँखों में चाहत की हर बात हुई,
जाते हुए उसने देखा मुझे चाहत भरी निगाहों से,
मेरी भी आँखों से आंसुओं की बरसात हुई.
चंद लम्हे जो मुलाक़ात के मिलते हैं कभी,
वो भी अक्सर अदब आदाब में खो जाते हैं..
ताज्जुब न कीजिएगा गर कोई दुश्मन भी आपकी खैरियत पूछ जाए..
ये वो दौर है जहाँ, हर मुलाकात में मकसद छुपे होते है…
कभी हक़ीक़त में भी बढ़ाया करो ताल्लुक़ हमसे…..
अब ख़्वाबों की मुलाक़ातों से तसल्ली नहीं होती..!!
कुछ मुलाकाते दरवाजे खोल जाती है,
या तो दिल के या तो आंखो के..
नाराज़गी भी मोहब्बत की बुनियाद होती हे,
मुलाक़ात से भी प्यारी किसी की याद होती हे………
मत कर यकीन यहां पल भर की मुलाकात पर।
जरुरत ना हो तो लोग यहां सालों के रिश्ते भुल जाते हैं।।।
कभी कभार की मुलाक़ात ही अच्छी है दोस्त……
कद्र खो देता है रोज रोज का आना जाना….!!!!!