हम दोस्ती एहसान वफ़ा भूल गए हैं,
जिंदा तो है जीने की अदा भूल गए हैं,
खुशबु जो लुटाती है मसलती है उसी को,
एहसान का बदला यही मिलता है कली को,
एहसान तो लेते है सिला भूल गए हैं,
हम दोस्ती एहसान वफ़ा भूल गए हैं,
जिंदा तो है जीने की अदा भूल गए हैं,
खुशबु जो लुटाती है मसलती है उसी को,
एहसान का बदला यही मिलता है कली को,
एहसान तो लेते है सिला भूल गए हैं,