आरज़ू थी फ़ना होने की शायद
जो इस दिल ने प्यार का इज़हार किया
दो पल भी ना बैठे थे वो पास मेरे
हमने जिनका था बरसो इंतेज़ार किया
आरज़ू थी फ़ना होने की शायद
जो इस दिल ने प्यार का इज़हार किया
दो पल भी ना बैठे थे वो पास मेरे
हमने जिनका था बरसो इंतेज़ार किया