याद आए हैं उफ़ गुनह क्या क्या
हाथ उठाए हैं जब दुआ के लिए
Tag: gazab hindi shayari
Gunaah Shayari – मैं रोज गुनाह करता हूँ
मैं रोज गुनाह करता हूँ वो रोज बख्श देता है,
मैं आदत से मजबूर हूँ वो रहमत से मशहूर है…
Gair Shayari – सिखा दिया दुनिया ने मुझे
सिखा दिया दुनिया ने मुझे ,अपनो पर भी शक करना।
मेरी फितरत में तो गैरों पर भी भरोसा करना था ! …
Gair Shayari – तुम्हें अपना कहने की तमन्ना
तुम्हें अपना कहने की तमन्ना थी दिल में…
लबों तक आते आते तुम ग़ैर हो गए !!
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Gair Shayari – उम्र भर चलते रहे …मगर
उम्र भर चलते रहे …मगर कंधो पे आये कब्र तक,
बस कुछ कदम के वास्ते गैरों का अहसान हो गया……!!
Gair Shayari – कुछ हार गई तकदीर कुछ
कुछ हार गई तकदीर, कुछ टूट गये सपने,
कुछ गैरों ने किया बरबाद कुछ भूल गये अपने।…
Gair Shayari – कैसे करू भरोसा गैरों के
कैसे करू भरोसा गैरों के प्यार पर,
अपने ही मजा लेते हैं अपनों की हार पर..
Gunaah Shayari – गुनाह गिन के मैं क्यूँ
गुनाह गिन के मैं क्यूँ अपने दिल को छोटा करूँ
सुना है तेरे करम का कोई हिसाब नहीं
Gunaah Shayari – मिरे गुनाह ज़ियादा हैं या
मिरे गुनाह ज़ियादा हैं या तिरी रहमत
करीम तू ही बता दे हिसाब कर के मुझे
Gunaah Shayari – वो कौन हैं जिन्हें तौबा
वो कौन हैं जिन्हें तौबा की मिल गई फ़ुर्सत
हमें गुनाह भी करने को ज़िंदगी कम है