हाथों की लकीरों मैं तुम हो ना हो ….
जिदंगी भर दिल में जरूर रहोगे…
हाथों की लकीरों मैं तुम हो ना हो ….
जिदंगी भर दिल में जरूर रहोगे…
हज़ार बार ली है तुमने तलाशी मेरे दिल की,
बताओ कभी कुछ मिला है इसमें तुम्हारे सिवा…
तेरे ही नाम से ज़ाना जाता हूं मैं,
ना जाने ये शोहरत है या बदनामी…
हुए बदनाम मगर फिर भी न सुधर पाए हम,
फिर वही शराब, फिर वही इश्क, फिर वही तुम…!!!!!
मेरी हर तलाश तुझ पर आ कर ही ख़त्म होती है…!!
अब कोई बताये मुझे क्या इससे ज्यादा भी कहीं मोहब्बत होती है…!!
आज कोई एक बुरी आदत छोडनी है..
कमबख्त तय कैसे करु..
ना ”शराब” छोड़ सकता हूँ ना तुम्हें ….
ये जो तुमने खुद को बदला है…
ये बदला है…..
या “बदला” है ..!!!
बहुत याद आते हो …………..”तुम”
दुआ करो मेरी याददाश्त चली जाये….!
सही कहते हैं दुनियावाले,
बहुत ग़रीब हो गया हूँ मैं…
एक फकत…
तू ही तो दौलत थी मेरी |….
ये ज़िन्दगी चल तो रही थी…
पर तेरे आने से मैंने जीना शुरू किया